अन्तरयामी एक तुम, आतम के आधार | कबीर के दोहे अन्तरयामी एक तुम, आतम के आधार । जो तुम छोड़ो हाथ तौ, कौन उतारे पार ।। अर्थ: हे प्रभु ! आप हृदय के भावों को जानने वाले तथा आत्मा के आधार हो । यदि आपकी आराधना न करें तो हमको इस संसार-सागर से आपके सिवाय कौन पार उतारने वाला है । Tags: kabir das, kabir ke dohe, कबीर के दोहे Read more articles Previous Postअटकी भाल शरीर में, तीर रहा है टूट | कबीर के दोहे Next Postअपने-अपने साख की, सब ही लिनी भान (अर्थ) You Might Also Like कांचे भाड़े से रहे, ज्यों कुम्हार का नेह (अर्थ) May 1, 2023 दुर्लभ मानुष जनम है, देह न बारम्बार (अर्थ) May 17, 2023 जहाँ ग्राहक तंह मैं नहीं, जंह मैं गाहक नाय (अर्थ) May 17, 2023 Leave a Reply Cancel replyCommentEnter your name or username to comment Enter your email address to comment Enter your website URL (optional) Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.