आशा को ईंधन करो, मनशर करा न भूत (अर्थ)

आशा को ईंधन करो, मनशर करा न भूत ।

जोगी फेरी यों फिरो, तब बुन आवे सूत ।।

अर्थ: कबीर जी कहते हैं कि सच्चा योगी बनना है तो मोह वासनाओं तथा तृष्णा को फूँक कर नाश कर दो फिर हे प्राणी, तुम्हारे अंदर आत्मा का विकास होगा ।

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