आस पराई राखता, खाया घर का खेत (अर्थ)

आस पराई राखता, खाया घर का खेत ।

औरन को पथ बोधता, मुख में डारे रेत ।।

अर्थ: तू दूसरों की रखवाली करता है अपनी नहीं यानि तू दूसरों को ज्ञान सिखाता है और स्वयं क्यों नहीं परमात्मा का भजन करता है ।

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