आहार करे मनभावता, इंद्री की स्वाद (अर्थ)

आहार करे मनभावता, इंद्री की स्वाद ।

नाक तलक पूरन भरे, तो कहिए कौन प्रसाद ।।

अर्थ: जो मनुष्य इंद्रियों के स्वाद के लिए पूर्ण नाक तक भरकर खाय तो प्रसाद कहा रहा !

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