उतने कोई न आवई, पासू पूछूँ धाय (अर्थ) उतने कोई न आवई, पासू पूछूँ धाय । इतने ही सब जात है, भार लदाय लदाय ।। अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि कोई भी जीव स्वर्ग से नहीं आता है कि वहाँ का कोई हाल मालूम हो सके, किन्तु यहाँ से जो जीव जाया करते हैं वे दुष्कर्मों के पोटरे बाँध के ले जाते हैं । Tags: kabir das, kabir ke dohe, कबीर के दोहे Read more articles Previous Postउज्ज्वल पहरे कापड़ा, पान-सुपारी खाय (अर्थ) Next Postअवगुन कहूँ शराब का, आपा अहमक होय (अर्थ) You Might Also Like संत कबीर दास के दोहे pdf (2023) | कबीर के दोहे pdf April 8, 2023 कबीर यह जग कुछ नहीं, खिन खारा खिन मीठ (अर्थ) April 30, 2023 कबिरा यह तन जात है, सके तो ठौर लगा (अर्थ) May 1, 2023 Leave a Reply Cancel replyCommentEnter your name or username to comment Enter your email address to comment Enter your website URL (optional) Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.