उतने कोई न आवई, पासू पूछूँ धाय (अर्थ)

उतने कोई न आवई, पासू पूछूँ धाय ।

इतने ही सब जात है, भार लदाय लदाय ।।

अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि कोई भी जीव स्वर्ग से नहीं आता है कि वहाँ का कोई हाल मालूम हो सके, किन्तु यहाँ से जो जीव जाया करते हैं वे दुष्कर्मों के पोटरे बाँध के ले जाते हैं ।

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