ऊँचे पानी न टिके, नीचे ही ठहराय (अर्थ) ऊँचे पानी न टिके, नीचे ही ठहराय । नीचा हो सो भरिए पिए, ऊँचा प्यासा जाय ।। अर्थ: पानी ऊँचे पर नहीं ठहरता है, इसलिए नीचे झुकने वाला पानी पी सकता है । ऊँचा खड़ा रहने वाला प्यासा ही रह जाता है अर्थात नम्रता से सब कुछ प्राप्त होता है । Tags: kabir das, kabir ke dohe, कबीर के दोहे Read more articles Previous Postऊँचे कुल का जनमिया, करनी ऊंच न होय (अर्थ) Next Postकबीरा संगत साधु की, ज्यों गंधी की वास (अर्थ) You Might Also Like उज्ज्वल पहरे कापड़ा, पान-सुपारी खाय (अर्थ) April 21, 2023 घाट का परदा खोलकर, सन्मुख ले दीदार (अर्थ) May 1, 2023 ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय (अर्थ) April 21, 2023 Leave a Reply Cancel replyCommentEnter your name or username to comment Enter your email address to comment Enter your website URL (optional) Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.