कबीरा धीरज के धरे, हाथी मन भर खाय (अर्थ)

कबीरा धीरज के धरे, हाथी मन भर खाय ।

टूट-टूट के कारनै, स्वान धरे धर जाय ।।

अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि कि गज के धैर्य धारण करने से ही वह मन भर भोजन करता है, परंतु कुत्ता धैर्य नहीं धारण करने से घर घर एक टूक के लिए फिरता है । इसलिए सम्पूर्ण जीवों को चाहिए कि वो धैर्य धारण करे ।

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