कबीरा संगति साधु की, हरे और की व्याधि (अर्थ) कबीरा संगति साधु की, हरे और की व्याधि । संगति बुरी असाधु की, आठो पहर उपाधि ।। अर्थ: कबीर जी कहते हैं कि साधु की संगति ही भली है जिससे कि दूसरे की आपत्ति मिट जाती है । असाधु कि संगति बहुत खराब है, जिससे कि आठों पहर उपाधियां घेरे रहती हैं । Tags: kabir das, kabir ke dohe, कबीर के दोहे Read more articles Previous Postकबीरा संगति साधु की, जौ की भूसी खाय (अर्थ) Next Postएक ते जान अनंत, अन्य एक हो आय (अर्थ) You Might Also Like जब लग नाता जगत का, तब लग भक्ति न होय (अर्थ) May 1, 2023 कथा कीर्तन कुल विशे, भव सागर की नाव (अर्थ) April 30, 2023 ते दिन गये अकारथी, संगत भई न संत (अर्थ) May 17, 2023 Leave a Reply Cancel replyCommentEnter your name or username to comment Enter your email address to comment Enter your website URL (optional) Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.