कबीरा संगत साधु की, निष्फल कभी न होय (अर्थ)

कबीरा संगत साधु की, निष्फल कभी न होय ।

होमी चन्दन बासना, नीम न कहसी कोय ।।

अर्थ: साधु की संगति कभी निष्फल नहीं जाती है, चन्दन के हवन से उत्पन्न वास को नीम की वास कोई नहीं कह सकता है ।

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