कबीर मन पंछी भया,भये ते बाहर जाय (अर्थ)

कबीर मन पंछी भया,भये ते बाहर जाय ।

जो जैसे संगति करै, सो तैसा फल पाय ।।

अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि मेरा मन एक पक्षी के समान है, जिस प्रकार के वृक्ष पर बैठेगा वैसे ही फल का आस्वादन करेगा । इसलिए हे प्राणी, तू जिस प्रकार की संगति में रहेगा तेरा हृदय उसी प्रकार के कार्य करने की अनुमति देगा ।

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