कबीर यह जग कुछ नहीं, खिन खारा खिन मीठ (अर्थ)

कबीर यह जग कुछ नहीं, खिन खारा खिन मीठ ।

काल्ह जो बैठा भंडपै, आज भसाने दीठ ।।

अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि यह संसार नाशवान है क्षण भर को कटु तथा क्षण भर को मधु प्रतीत होता है । जिस प्रकार कि कल कोई व्यक्ति मण्डप में बैठा हो और आज उसे शमशान देखना पड़े ।

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