कुटिल बचन सबसे बुरा,जासे होत न हार (अर्थ)

कुटिल बचन सबसे बुरा,जासे होत न हार ।

साधु बचन जल रूप है, बरसे अमृत धार ।।

अर्थ: कठोर वचन सबसे बुरी वस्तु है, यह मनुष्य के शरीर को जलाकर राख के समान कर देता है । सज्जनों के वचन जल के समान शीतल होते हैं । जिनको सुनकर अमृत की वर्षा हो जाती है ।

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