गर्भ योगेश्वर गुरु बिना, लागा हर का सेव (अर्थ) गर्भ योगेश्वर गुरु बिना, लागा हर का सेव । कहे कबीर बैकुंठ से, फेर दिया शुकदेव ।। अर्थ: यदि किसी ने अपना गुरु नहीं बनाया और जन्म से ही हरि सेवा में लगा हुआ है तो उसे शुकदेव की तरह बैकुंठ से आना पड़ेगा । Tags: kabir das, kabir ke dohe, कबीर के दोहे Read more articles Previous Postकांचे भाड़े से रहे, ज्यों कुम्हार का नेह (अर्थ) Next Postगुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाँय (अर्थ) You Might Also Like जहाँ काम तहाँ नाम नहिं, जहाँ नाम नहिं काम (अर्थ) May 1, 2023 ज्यों नैनन में पूतली, त्यों मालिक घर मांहि (अर्थ) May 1, 2023 को छुटौ इहिं जाल परि, कत फुरंग अकुलाय (अर्थ) April 30, 2023 Leave a Reply Cancel replyCommentEnter your name or username to comment Enter your email address to comment Enter your website URL (optional) Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.