घाट का परदा खोलकर, सन्मुख ले दीदार (अर्थ)

घाट का परदा खोलकर, सन्मुख ले दीदार ।

बाल सनेही साइयां, आवा अंत का यार ।।

अर्थ: जो भगवान के शैशव अवस्था का सखा और आदि से समाप्ती तक का मित्र है । कबीरदास जी कहते हैं कि हे जीव अपने ज्ञान चक्षु द्वारा हृदय में उसके दर्शन कर!

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