घाट का परदा खोलकर, सन्मुख ले दीदार (अर्थ) घाट का परदा खोलकर, सन्मुख ले दीदार । बाल सनेही साइयां, आवा अंत का यार ।। अर्थ: जो भगवान के शैशव अवस्था का सखा और आदि से समाप्ती तक का मित्र है । कबीरदास जी कहते हैं कि हे जीव अपने ज्ञान चक्षु द्वारा हृदय में उसके दर्शन कर! Tags: kabir das, kabir ke dohe, कबीर के दोहे Read more articles Previous Postचन्दन जैसा साधु है, सर्पहि सम संसार (अर्थ) Next Postघी के तो दर्शन भले, खाना भला न तेल (अर्थ) You Might Also Like अटकी भाल शरीर में, तीर रहा है टूट | कबीर के दोहे April 21, 2023 कबीर यह जग कुछ नहीं, खिन खारा खिन मीठ (अर्थ) April 30, 2023 समय के ऊपर कबीर के दोहे – kabir ke dohe May 27, 2023 Leave a Reply Cancel replyCommentEnter your name or username to comment Enter your email address to comment Enter your website URL (optional) Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.