जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय (अर्थ) जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय । यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोय ।। अर्थ: यदि तुम्हारे मन में शांति है तो संसार में तुम्हारा कोई वैरी नहीं यदि तू घमंड करना छोड़ दे तो सब तेरे ऊपर दया करेंगे । Tags: kabir das, kabir ke dohe, कबीर के दोहे Read more articles Previous Postजाके जिभ्या बन्धन नहीं हृदय में नाहिं साँच (अर्थ) Next Postझूठे सुख को सुख कहै, मानता है मन मोद (अर्थ) You Might Also Like छीर रूप सतनाम है, नीर रूप व्यवहार (अर्थ) May 1, 2023 जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाहिं (अर्थ) May 17, 2023 ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय (अर्थ) April 21, 2023 Leave a Reply Cancel replyCommentEnter your name or username to comment Enter your email address to comment Enter your website URL (optional) Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.