जल में बर्से कमोदनी, चन्दा बसै अकास (अर्थ) जल में बर्से कमोदनी, चन्दा बसै अकास । जो है जाको भावना, सो ताही के पास ।। अर्थ: जो आदमी जिसके प्रिय होता है वह उसके पास रहता है, जिस प्रकार कुमुदनी जल में रहने पर भी चंद्रमा से प्रेम करने के कारण उसकी चाँदनी में ही मिलती है । Tags: kabir das, kabir ke dohe, कबीर के दोहे Read more articles Previous Postजब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाहिं (अर्थ) Next Postजहर की जमी में है रोपा, अभी सींचें सौ बार (अर्थ) You Might Also Like तब लग तारा जगमगे, जब लग उगे नसूर (अर्थ) May 17, 2023 आया था किस काम को, तू सोया चादर तान (अर्थ) April 21, 2023 जा कारण जग ढूंढिया, सो तो घट ही माहिं (अर्थ) May 1, 2023 Leave a Reply Cancel replyCommentEnter your name or username to comment Enter your email address to comment Enter your website URL (optional) Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.