जहाँ काम तहाँ नाम नहिं, जहाँ नाम नहिं काम (अर्थ)

जहाँ काम तहाँ नाम नहिं, जहाँ नाम नहिं काम ।

दोनों कबहूं ना मिले, रवि रजनी एक ठाम ।।

अर्थ: जहाँ पर काम वासना है वहाँ पर भगवान का नाम नहीं आ सकता है । जहाँ पर भगवान का नाम है वहाँ मोह, काम वासनाएँ नहीं आ सकती हैं । मोह-काम वासनाएँ और भगवान का नाम ये दोनों एक स्थान पर एकत्रित नहीं हो सकते हैं । जिस प्रकार कि रात्रि में सूर्य का अभाव रहता है । उसी प्रकार ईश्वर प्रेम के ज्ञान रूपी प्रकाश में अज्ञान का नाश हो जाता है ।

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