जहाँ दया तहाँ धर्म है, जहाँ लोभ तहाँ पाप (अर्थ)

जहाँ दया तहाँ धर्म है, जहाँ लोभ तहाँ पाप ।

जहाँ क्रोध तहाँ काल है, जहाँ क्षमा तहाँ आप ।।

अर्थ: जिस आदमी में दया है तो वहाँ पर ही धर्म है जहाँ पर लोभ है वहाँ पर पाप है, जहाँ पर क्रोध है वहाँ पर मृत्यु । जहाँ पर मनुष्य क्षमा साधारण करे वह परमात्मा का भक्त बन जाता है ।

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