जाके जिभ्या बन्धन नहीं हृदय में नाहिं साँच (अर्थ) जाके जिभ्या बन्धन नहीं हृदय में नाहिं साँच । वाके संग न लागिये, खाले वटिया काँच ।। अर्थ: जिसको अपनी जीभ पर नियंत्रण नहीं और मन में सच्चाई नहीं तो ऐसे मनुष्य के साथ रहकर तुझे कुछ प्राप्त नहीं हो सकता । Tags: kabir das, kabir ke dohe, कबीर के दोहे Read more articles Previous Postजहाँ ग्राहक तंह मैं नहीं, जंह मैं गाहक नाय (अर्थ) Next Postजग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय (अर्थ) You Might Also Like कबीरा लहर समुद्र की, निष्फल कभी न जाय (अर्थ) April 30, 2023 दस द्वारे का पिंजरा, तामें पंछी मौन (अर्थ) May 17, 2023 कबीरा लोहा एक है, गढ़ने में है फेर (अर्थ) April 30, 2023 Leave a Reply Cancel replyCommentEnter your name or username to comment Enter your email address to comment Enter your website URL (optional) Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.