जा घट प्रेम न संचरे, सो घट जान समान (अर्थ)

जा घट प्रेम न संचरे, सो घट जान समान ।

जैसे खाल लुहार की, सांस लेतु बिन प्रान ।।

अर्थ: जिस आदमी के हृदय में प्रेम नहीं है वह श्मशान के सदृश्य भयानक एवं त्याज्य होता है | जिस प्रकार के लुहार की धौंकनी की भरी हुई खाल बगैर प्राण के साँस लेती है उसी प्रकार उस आदमी का कोई महत्व नहीं है ।

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