जो जन भीगे राम रस, विगत कबहूँ ना रुख (अर्थ)

जो जन भीगे राम रस, विगत कबहूँ ना रुख ।

अनुभव भाव न दरसे, वे नर दुःख ना सुख ।।

अर्थ: जिस तरह सूखा पेड़ नहीं फलता इसी तरह राम के बिना कोई नहीं फल-फूल सकता । जिसके मन में रामनाम के सिवा दूसरा भाव नहीं है उनको सुख-दुख का बन्धन नहीं है ।

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