जो तू चाहे मुक्ति को, छोड़ दे सबकी आस (अर्थ) जो तू चाहे मुक्ति को, छोड़ दे सबकी आस । मुक्त ही जैसा हो रहे, सब कुछ तेरे पास ।। अर्थ: परमात्मा का कहना है अगर तू मुक्ति चाहता है तो मेरे सिवाय सब आस छोड़ दे और मुझ जैसा हो जा फिर तुझे कुछ परवाह नहीं रहेगी । Tags: kabir das, kabir ke dohe, कबीर के दोहे Read more articles Previous Postझूठे सुख को सुख कहै, मानता है मन मोद (अर्थ) Next Postजो जाने जीव आपना, करहीं जीव का सार (अर्थ) You Might Also Like जहाँ ग्राहक तंह मैं नहीं, जंह मैं गाहक नाय (अर्थ) May 17, 2023 कबीर सीप समुद्र की, रटे पियास पियास (अर्थ) April 30, 2023 अपने-अपने साख की, सब ही लिनी भान (अर्थ) April 21, 2023 Leave a Reply Cancel replyCommentEnter your name or username to comment Enter your email address to comment Enter your website URL (optional) Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.