ज्यों नैनन में पूतली, त्यों मालिक घर मांहि (अर्थ)

ज्यों नैनन में पूतली, त्यों मालिक घर मांहि ।

मूर्ख लोग न जानिए, बाहर ढूँढ़त जांहि ।

अर्थ: जिस प्रकार नेत्रों के अंदर पुतली रहती है और वह सारे संसार को देख सकती है, किन्तु अपने को नहीं उसी तरह भगवान हृदय में विराजमान है और मूर्ख लोग बाहर ढूँढ़ते फिरते हैं ।

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