तन बोहत मन काग है, लक्ष योजन उड़ जाय (अर्थ) तन बोहत मन काग है, लक्ष योजन उड़ जाय । कबहुँ के धर्म अगमदयी, कबहुँ गगन समाय ।। अर्थ: मनुष्य का शरीर विमान के समान है और मन काग के समान है कि कभी तो नदी में गोते मारता है और कभी आकाश में जाकर उड़ता है । Tags: kabir das, kabir ke dohe, कबीर के दोहे Read more articles Previous Postतब लग तारा जगमगे, जब लग उगे नसूर (अर्थ) Next Postदुर्लभ मानुष जनम है, देह न बारम्बार (अर्थ) You Might Also Like आया था किस काम को, तू सोया चादर तान (अर्थ) April 21, 2023 प्रेम पर कबीर के दोहे | prem par kabir ke dohe March 25, 2023 कबीरा लोहा एक है, गढ़ने में है फेर (अर्थ) April 30, 2023 Leave a Reply Cancel replyCommentEnter your name or username to comment Enter your email address to comment Enter your website URL (optional) Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.