तीर तुपक से जो लड़ै, सो तो शूर न होय (अर्थ)

तीर तुपक से जो लड़ै, सो तो शूर न होय ।

माया तजि भक्ति करे, सूर कहावै सोय ।।

अर्थ: वह मानव वीर नहीं कहलाता जो केवल धनुष और तलवार से लड़ाई लड़ते हैं । सच्चा वीर तो वह है जो माया को त्याग कर भक्ति करता है ।

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