तीर तुपक से जो लड़ै, सो तो शूर न होय (अर्थ) तीर तुपक से जो लड़ै, सो तो शूर न होय । माया तजि भक्ति करे, सूर कहावै सोय ।। अर्थ: वह मानव वीर नहीं कहलाता जो केवल धनुष और तलवार से लड़ाई लड़ते हैं । सच्चा वीर तो वह है जो माया को त्याग कर भक्ति करता है । Tags: kabir das, kabir ke dohe, कबीर के दोहे Read more articles Previous Postतेरा साईं तुझ में, ज्यों पहुन में बास (अर्थ) Next Postतन को जोगी सब करे, मन को बिरला कोय (अर्थ) You Might Also Like कबीरा संगति साधु की, जौ की भूसी खाय (अर्थ) April 30, 2023 आवत गारी एक है, उलटन होय अनेक (अर्थ) April 21, 2023 जहर की जमी में है रोपा, अभी सींचें सौ बार (अर्थ) May 17, 2023 Leave a Reply Cancel replyCommentEnter your name or username to comment Enter your email address to comment Enter your website URL (optional) Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.