दस द्वारे का पिंजरा, तामें पंछी मौन (अर्थ)

दस द्वारे का पिंजरा, तामें पंछी मौन ।

रहे को अचरज भयौ, गये अचम्भा कौन ।

अर्थ: यह जो शरीर है इसमें जो प्राण वायु है वह इस शरीर में होने वाले दस द्वारों से निकल सकता है । इसमें कोई अचरज की बात नहीं है । अर्थात प्रत्येक इन्द्रिय मृत्यु का कारण बन सकती है ।

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