दुर्लभ मानुष जनम है, देह न बारम्बार (अर्थ) दुर्लभ मानुष जनम है, देह न बारम्बार । तरुवर ज्यों पत्ती झड़े, बहुरि न लागे दार ।। अर्थ: यह मनुष्य जन्म बड़ी मुश्किल से मिलता है । और यह देह बार-बार नहीं मिलता जिस तरह पेड़ से पत्ता झड़ जाने के बाद फिर डाल में नहीं लग सकता है । Tags: kabir das, kabir ke dohe, कबीर के दोहे Read more articles Previous Postतन बोहत मन काग है, लक्ष योजन उड़ जाय (अर्थ) Next Postदस द्वारे का पिंजरा, तामें पंछी मौन (अर्थ) You Might Also Like ज्यों नैनन में पूतली, त्यों मालिक घर मांहि (अर्थ) May 1, 2023 जबही नाम हृदय धरा, भया पाप का नास (अर्थ) May 1, 2023 जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय (अर्थ) May 17, 2023 Leave a Reply Cancel replyCommentEnter your name or username to comment Enter your email address to comment Enter your website URL (optional) Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.