न्हाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाय (अर्थ) न्हाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाय । मीन सदा जल में रहै, धोये बास न जाय ।। अर्थ: नहाने और धोने से क्या लाभ जब कि मन का मैल (पाप) दूर न होवे । जिस प्रकार मछ्ली सदैव पानी में जिंदा रहती है और उसको धोने पर भी उसकी दुर्गन्ध दूर नहीं होती है । Tags: kabir das, kabir ke dohe, कबीर के दोहे Read more articles Previous Postप्रेम पियाला जो पिये, सीस दक्षिणा देय (अर्थ) Next Postपाँच पहर धन्धे गया, तीन पहर गया सोय (अर्थ) You Might Also Like जाके मुख माथा नहीं, नाहीं रूप कुरूप (अर्थ) May 17, 2023 वीरता के ऊपर कबीर के दोहे – kabir ke dohe May 27, 2023 ज्यों तिल मांही तेल है, ज्यों चकमक में आग (अर्थ) May 1, 2023 Leave a Reply Cancel replyCommentEnter your name or username to comment Enter your email address to comment Enter your website URL (optional) Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.