पत्ता बोला वृक्ष से, सुनो वृक्ष वनराय (अर्थ)

पत्ता बोला वृक्ष से, सुनो वृक्ष वनराय ।

अब के बिछुड़े ना मिले, दूर पड़ेंगे जाय ।।

अर्थ: पत्ता वृक्ष को सम्बोधन करता हुआ कहता है कि हे वनराय अब के वियोग होने पर न जाने कहाँ पर हम पहुँचें तुमको छोड़कर । फिर जाने मिलना हो या नहीं । भाव यह है कि हे जीव, इस संसार में मनुष्य योनि को छोड़ कर कर्मों के अनुसार न जाने कौन-सी योनि प्राप्त होगी । इसलिए मनुष्य योनि में ही भगवान का स्मरण प्रत्येक समय कर ले ।

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