कागा काको धन हरे, कोयल काको देय (अर्थ) कागा काको धन हरे, कोयल काको देय । मीठे शब्द सुनाय के, जग अपनो कर लेय ।। अर्थ: कागा किसका धन हरता है जिससे संसार उससे नाराज रहता है और क्या कोयल किसी को अपनी धुन देती है वह तो केवल अपनी मधुर (शब्द) ध्वनि सुनाकर संसार को मोहित कर लेती है । Tags: kabir das, kabir ke dohe, कबीर के दोहे Read more articles Previous Postकबीर सोता क्या करे, जागो जपो मुरार (अर्थ) Next Postकबीरा सोई पीर है, जो जा नै पर पीर (अर्थ) You Might Also Like ज्यों तिल मांही तेल है, ज्यों चकमक में आग (अर्थ) May 1, 2023 आए हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर (अर्थ) April 21, 2023 अन्तरयामी एक तुम, आतम के आधार | कबीर के दोहे April 21, 2023 Leave a Reply Cancel replyCommentEnter your name or username to comment Enter your email address to comment Enter your website URL (optional) Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.