पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ, पंडित हुआ न कोय (अर्थ)

पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ, पंडित हुआ न कोय । एकै आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय ।। अर्थ: पुस्तकों को अध्ययन करते-करते जाने कितने व्यक्ति मर गए परंतु कोई…

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प्रेम न बारी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय (अर्थ)

प्रेम न बारी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय । राजा परजार जोहि रुचे, सीस देइ ले जाए ।। अर्थ: प्रेम न जो बाड़ी (बगीचा) में उपजता है और न बाजार…

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पाँच पहर धन्धे गया, तीन पहर गया सोय (अर्थ)

पाँच पहर धन्धे गया, तीन पहर गया सोय । एक पहर भी नाम बिन, मुक्ति कैसे होय ।। अर्थ: दिन में आठ पहर होते हैं, उन आठ पहरों में से…

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न्हाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाय (अर्थ)

न्हाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाय । मीन सदा जल में रहै, धोये बास न जाय ।। अर्थ: नहाने और धोने से क्या लाभ जब कि मन…

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प्रेम पियाला जो पिये, सीस दक्षिणा देय (अर्थ)

प्रेम पियाला जो पिये, सीस दक्षिणा देय । लोभी शीश न दे सके, नाम प्रेम का लेय ।। अर्थ: व्यक्ति प्रेमामृत से परिपूर्ण प्याले का पान करते हैं वह उस…

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धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय (अर्थ)

धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय । माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय ।। अर्थ: हे मन धीरे-धीरे सब कुछ हो जाएगी माली सैकड़ों घड़े पानी पेड़…

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नहिं शीतल है, चंद्रमा, हिम नहिं शीतल होय (अर्थ)

नहिं शीतल है, चंद्रमा, हिम नहिं शीतल होय । कबिरा शीतल संतजन, नाम स्नेही होय ।। अर्थ: चंद्रमा शीतल नहीं है और हिम भी शीतल नहीं, क्योंकि उनकी शीतलता वास्तविक…

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दया कौन पर कीजिये, कापर निर्दय होय (अर्थ)

दया कौन पर कीजिये, कापर निर्दय होय । साईं  के सब जीव है, कीरी कुंजर दोय ।। अर्थ: किस पर दया करनी चाहिए या किस पर नहीं करनी चाहिए हाथी…

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दया आप हृदय नहीं, ज्ञान कथे वे हद (अर्थ)

दया आप हृदय नहीं, ज्ञान कथे वे हद । ते नर नरक ही जायंगे, सुन-सुन साखी शब्द ।। अर्थ: जिनके हृदय में दया नहीं है और ज्ञान की कथायें कहते…

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दस द्वारे का पिंजरा, तामें पंछी मौन (अर्थ)

दस द्वारे का पिंजरा, तामें पंछी मौन । रहे को अचरज भयौ, गये अचम्भा कौन । अर्थ: यह जो शरीर है इसमें जो प्राण वायु है वह इस शरीर में…

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