तेरा साईं तुझ में, ज्यों पहुन में बास (अर्थ)

तेरा साईं तुझ में, ज्यों पहुन में बास ।

कस्तूरी का हिरण ज्यों, फिर-फिर ढूँढ़त घास ।।

अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि मनुष्य तेरा स्वामी भगवान तेरे ही अंदर उसी प्रकार है जिस प्रकार पुष्पों में सुगंध व्याप्त रहती है फिर भी तू जिस प्रकार कस्तूरी वाला हिरण अपने अंदर छिपी हुई कस्तूरी को अज्ञान से घास में ढूँढ़ता है उसी प्रकार ईश्वर को अपने से बाहर खोज करती है ।

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